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अध्यात्मिक साधना के लिए जो लोग इच्छुक होते हैं वे लोग इन दिनों साधना रत रहते है.ग्रहों से पीड़ित व्यक्ति इन दस दिनों में ग्रह शांति भी कर सकते हैं यह इसके लिए उत्तम समय होता है.
Read More »भगवान सत्यनारायण विष्णु के ही रूप हैं (God Satyanarayan is an incarnation of God Vishnu)। कथा के अनुसार इन्द्र का दर्प भंग करने के लिए विष्णु जी ने नर और नारायण के रूप में बद्रीनाथ में तपस्या किया था वही नारायण सत्य को धारण करते हैं अत: सत्[...]
Read More »भगवान सूर्य जिन्हें आदित्य भी कहा जाता है वास्तव एक मात्र प्रत्यक्ष देवता हैं. इनकी रोशनी से ही प्रकृति में जीवन चक्र चलता है. इनकी किरणों से ही धरती में प्राण का संचार होता है और फल, फूल, अनाज, अंड और शुक्र का निर्माण होता है. यही वर्षा का[...]
Read More »जो भी प्राणी धरती पर जन्म लेता है उसकी मृत्यु निश्चित है क्योकि यही विधि का विधान है. विधि के इस विधान से स्वयं भगवान भी नहीं बच पाये और मृत्यु की गोद में उन्हें भी सोना पड़ा. चाहे भगवान राम हों, कृष्ण हों, बुध और जैन सभी को निश्चित समय पर [...]
Read More »दीपावली की रात देवी लक्ष्मी के साथ एक दंत मंगलमूर्ति गणपति की पूजा की जाती है (Laxmi Ganesha Pooja). पूजा स्थल पर गणेश लक्ष्मी (Ganesh Laxmi) की मूर्ति या तस्वीर के पीछे शुभ और लाभ लिखा जाता है व इनके बीच में स्वास्तिक का चिन्ह बनाया जाता [...]
Read More »गोवर्धन पूजा में गोधन यानी गायों की पूजा की जाती है (Govardhan and Annakuta Pooja). शास्त्रों में बताया गया है कि गाय उसी प्रकार पवित्र होती जैसे नदियों में गंगा. गाय को देवी लक्ष्मी का स्वरूप भी कहा गया है. देवी लक्ष्मी जिस प्रकार सुख समृद[...]
Read More »कार्तिक कृष्ण पक्ष द्वादशी के दिन गाय और बछड़े की पूजा का विधान है. इस दिन पुत्रवती स्त्रियां व्रत भी रखती हैं. इस व्रत को कहीं गोवत्स के नाम से जाना जाता है तो कहीं बच्छदुआ के नाम से. अलग अलग प्रांतों में इस व्रत के नाम अलग हैं लेकिन व्रत [...]
Read More »कोजागरा व्रत लक्ष्मी पूजा के नाम से भी जाना जाता है (Ashwin Shukla Poornima Laxmi Pooja Kojagra Vrat). आश्विन शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को यह व्रत होता है. चांद तो यूं भी खूबसूरत होता है परंतु इस रात चांद की खूबसूरती देखते बनती है. इस दिन[...]
Read More »भगवती दुर्गा के जिन न रूपों की हम पूजा करते चले आ रहे थे आज का दिन महादेवियों की विदाई का है. इस तिथि को देवी पृथ्वी लोक से अपने धाम को चली जाती हैं यही कारण है कि इस तिथि को यात्रा के नाम से भी जाता है. चुंकि मां दुर्गा अपने समस्त योगिनियो[...]
Read More »शेरावाली दुर्गा मईया जगत के कल्याण हेतु न रूपों में प्रकट हुई और इन न रूपों में अंतिम रूप है देवी सिद्धिदात्री (Sidhhidatri) का. यह देवी प्रसन्न होने पर सम्पूर्ण जगत की रिद्धि सिद्धि अपने भक्तों को प्रदान करती हैं.
Read More »देवी दुर्गा के न रूपों में महागरी आठवीं हैं. दुर्गा सप्तशती (Durga Saptsati) में शुभ निशुम्भ से पराजित होकर गंगा के तट पर जिस देवी की प्रार्थना देवतागण कर रहे थे वह महागरी हैं. देवी गरी के अंश से ही कशिकी का जन्म हुआ जिसने शुम्भ निशुम्भ के[...]
Read More »दुर्गा सप्तशती के प्रधानिक रहस्य में बताया गया है कि जब देवी ने इस सृष्टि का निर्माण शुरू किया और ब्रह्मा, विष्णु एवं महेश का प्रकटीकरण हुआ उसस पहले देवी ने अपने स्वरूप से तीन महादेवीयों को उत्पन्न किया. सर्वेश्वरी महालक्ष्मी ने ब्रह्माण्ड [...]
Read More »मधु कैटभ नामक महापराक्रमी असुर से जीवन की रक्षा हेतु भगवान विष्णु को निद्रा से जगाने के लिए ब्रह्मा जी ने इसी मंत्र से मां की स्तुति की थी. यह देवी कालरात्रि ही महामाया हैं और भग्वान विष्णु की योगनिद्रा हैं. इन्होंने ही सृष्टि को एक एक दूसर[...]
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