भाई दूजको एक अन्य नाम यम द्वितीया (Yam Dwitiya) से भी सम्बोधित किया जाता है. यम द्वितीया का त्यहार कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष में द्वितीया तिथि (Bhai Duj Karti Shukla dwit[...]
Read More »जो भी प्राणी धरती पर जन्म लेता है उसकी मृत्यु निश्चित है क्योकि यही विधि का विधान है. विधि के इस विधान से स्वयं भगवान भी नहीं बच पाये और मृत्यु की गोद में उन्हें भी सोना [...]
Read More »दीपावली की रात देवी लक्ष्मी के साथ एक दंत मंगलमूर्ति गणपति की पूजा की जाती है (Laxmi Ganesha Pooja). पूजा स्थल पर गणेश लक्ष्मी (Ganesh Laxmi) की मूर्ति या तस्वीर के पीछे[...]
Read More »करवा चथ के ठीक चार दिन बाद अष्टमी तिथि को देवी अहोई माता का व्रत किया जाता है। यह व्रत पुत्र की लम्बी आयु और सुखमय जीवन की कामना से पुत्रवती महिलाएं करती हैं. कृर्तिक मास[...]
Read More »गोवर्धन पूजा में गोधन यानी गायों की पूजा की जाती है (Govardhan and Annakuta Pooja). शास्त्रों में बताया गया है कि गाय उसी प्रकार पवित्र होती जैसे नदियों में गंगा. गाय को [...]
Read More »दीपावली को एक दिन का पर्व कहना न्योचित नहीं होगा. इस पर्व का जो महत्व और महात्मय है उस दृष्टि से भी यह काफी महत्वपूर्ण पर्व व हिन्दुओं का त्यहार है. यह पांच पर्वों की श्र[...]
Read More »धनतेरस दीपावली से दो दिन पहले मनाई जाती है (Dhanteras Deepawali). जिस प्रकार देवी लक्ष्मी सागर मंथन से उत्पन्न हुई थी उसी प्रकार भगवान धनवन्तरि भी अमृत कलश के साथ सागर मं[...]
Read More »कार्तिक कृष्ण पक्ष द्वादशी के दिन गाय और बछड़े की पूजा का विधान है. इस दिन पुत्रवती स्त्रियां व्रत भी रखती हैं. इस व्रत को कहीं गोवत्स के नाम से जाना जाता है तो कहीं बच्छ[...]
Read More »प्राचीन काल में एक धर्मात्मा और दानी राजा थे. राजा का नाम मुचुकुन्द था. प्रजा उन्हें पिता के समान मानते और वे प्रजा को पुत्र के समान. राजा मुचुकुन्द वैष्ण्व थे और भगवान व[...]
Read More »नारी जब सप्तपदी यानी अग्नि के सात फेरे लेती है तो यही प्रार्थना करती है कि जब तक जीवन रहे मेरा सुहाग बना रहे. अपने सुहाग की रक्षा के लिए नारी यमराज से लड़ने के लिए तैयार [...]
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